जब तक हिलेंगे होंठ
मैं तुमको
चूम तो सकूँगा ही
सागर में समा जाये सूरज
तब तक देखूँगा बाट
तुम छिटकती रहो / दूर ही दूर
खस की गंध सी महकोगी
जब तक अलविदा कहे
आखिरी साँस
मैं तुमको
सूँघ तो सकूँगा ही
जीवन आर्द्र है
है धूप भी तीखी
तुम देखती रहो / नूर ही नूर
सन्ध्या-सुबह सी साथ होगी
जब पगडंडियों पर थम जायें
पैर थक कर
उस आखिरी कदम पर
मैं तुमको
थाम तो सकूँगा ही
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