Monday, February 25, 2008

अनुभूतियाँ 71

हर कण ने / लहर ने हर

हर क्षण ने

छुआ है मुझे

अनुभूतियों का अमीर हूँ मैं


दादी-नानी की कहानियों से जानी

सबसे अधिक

कड़कड़ाती ठंड की रात में

समीप हो / एक गोरसी


उदास झुटपुटे में

धुँधियाते

शोर मचाते वीराने में

अनुगूँजे / एक स्मृति-गीत


जब काटता नहीं

भागता है समय / मन को उड़ाते

थिरकते हों पैर समय के

बमुश्किल / एक मीठी नींद


झरने की स्वर-साधना

नृत्य नदी का

लचकन फूलों की

घुँघरू / घंटियों सी हँसी के

गंध-स्वेद / बहुत सी जानी-अनजानी


स्मृतियों में रची-बसी

जीवन में सजी-धजी

है एक अनुभूति

तुम करीब हो

सारी अनुभूतियों का समुच्चय है

यह एक अनुभूति

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