Monday, February 25, 2008

रोमान की लहर 69

बहुत जल्दी पहचान लेती हैं

लहर रोमान की

और चहकने लगती हैं चिड़िया

कुछ ज्यादा ही

चाहे चुगती हों बादाम डली खीर के दाने

या पसिये में टूँगती हों

बचे कुछ चाँवल के दाने



कुछ ज्यादा ही बुद्धिमान हो गये हैं हम

या हो रहा है ठंडा जज्ब़ा हमारा

जीवन की कसौटी है गर्म रहना

हम परम्पराओं की राख में दबे अँगारे

एक छद्म रक्षा-कवच ओढ़े हुये हैं हम



हमारी तपिश अब चमड़ी के नीचे ही

कैद रहती है

एक शैली / एक ढर्रा / और दौड़ते हम

चूक रहे हैं देखना

कब आई और कब चली गई / बिना किये बातें

लहर रोमान की

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