बहुत जल्दी पहचान लेती हैं
लहर रोमान की
और चहकने लगती हैं चिड़िया
कुछ ज्यादा ही
चाहे चुगती हों बादाम डली खीर के दाने
या पसिये में टूँगती हों
बचे कुछ चाँवल के दाने
कुछ ज्यादा ही बुद्धिमान हो गये हैं हम
या हो रहा है ठंडा जज्ब़ा हमारा
जीवन की कसौटी है गर्म रहना
हम परम्पराओं की राख में दबे अँगारे
एक छद्म रक्षा-कवच ओढ़े हुये हैं हम
हमारी तपिश अब चमड़ी के नीचे ही
कैद रहती है
एक शैली / एक ढर्रा / और दौड़ते हम
चूक रहे हैं देखना
कब आई और कब चली गई / बिना किये बातें
लहर रोमान की
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