है क्या अधिक मीठा
चुम्बन से तुम्हारे
है और क्या अधिक दुर्लभ
बाहों के हार से
सब भूमिकायें निभातीं
मुझे रखने जिन्दा
आईं थीं धरा पर
हव्वा के रूप में
तुमने ही रचा है / संसार सारा
और ये अहसान ऊपर से
माँगा है / मेरा सहारा
है और क्या अधिक रहस्यमय
आवरण से तुम्हारे
जब होता हूँ / पास तुम्हारे
तुम्हारा ही होता हूँ
तुम्हारा ही / पूरा का पूरा
जब जगत में उतर जाता
साथ बस इतना / दिखता
छोर आँचल का तुम्हारा
है और क्या इससे बड़ा सुख
महक रही साँस मेरी / साँस से तुम्हारे
No comments:
Post a Comment