Monday, February 25, 2008

देह की दीवार 63

मेरे और तुम्हारे बीच

है एक दीवार

हडि्डयों की बनी

दाँतों जड़ी / नाखूनों मढ़ी

गंधाती दीवार

मेरे और तुम्हारे बीच

है एक दीवार

देह की दीवार



दसों दिशाओं / चौदह भुवनों

और असीम

समय की सीमा तक फैली है

अनन्त ऊँचाइयों तक

ऊँची है यह दीवार

अदृश्य होकर भी रोकती है

बाँधती है समय के बंधनों में

संस्कारों की साँकलों में

कहानियों की कन्दराओं में

हम खो नहीं सकते

जंगलों में / पहाड़ों में

कछारों में

तुम्हें नहीं सकते देख

आँखें बंद करके / खोल करके



इतना तो तय है

आते-जाते रहेंगे / सितारों की तरह

बरसते रहेंगे

मानसूनी बौछारों की तरह

देखने

क्षण-क्षण दरकती

यह दीवार

जो है / मेरे-तुम्हारे बीच

एक अमर-नश्वर दीवार

देह की दीवार

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