Monday, February 25, 2008

करें शुरु एक जीवन नया 53

अंतहीन विस्तार लिये

बिम्ब

करते रहते हैं

चुम्बकित

धमनियों में नाचते लौह-कणों को



स्मृतियों की बहक जातीं

धुनें

विलोकतिं जब

बिम्ब के विस्तार को अनंत से



एक वृत्त पूरा हुआ

जीवन-कर्म का

सामना है एक और लहर का

कर्ज है साँसों का

चलो, करें शुरु

एक जीवन नया

जैसे अभी तक कुछ हुआ ही नहीं



प्रारम्भ को होता है पता

अंत का

अनंत तक के अंत का

पता नहीं है / तो बस

पता नहीं है अंत

बिम्ब के अंतहीन विस्तार के अंत का

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