मालूम है मुझे
वेणी से अच्छी लगती हैं तुम्हें
अँगुलियाँ मेरी
बालों में तुम्हारे
मेरे गुलाबों से
गुलाबी हो जाता चेहरा तुम्हारा
और आँखें
मेरे स्पर्श से
करती हो तुम उबटन
मेरे किये श्रृंगार
होते हैं तुम्हारे अंत:भूषण
जिन्हें देख पाता हूँ मैं
सिर्फ मैं
तुम्हारे उलाहनों के साथ
खोजता हूँ तुम्हें / सिर्फ तुम्हें
तुम्हारी ही देह में
मालूम है मुझे
खोई हुई हो तुम मुझमें
सिर्फ मुझमें
और मैं तलाशता रहता हूंॅ
तुम्हें भुवन भर
देखने नयनों में तुम्हारे
अपना भुवन
मैं तुम्हारा श्रृंगार हूँ
या अपने श्रृंगार की
इति की है तुमने मुझमें
तुम मेरा जीवन हो
तुम हो अर्थ मेरे होने का
जानता हूँ मैं / और निश्चित
सिर्फ तुम ही
तुम्हारी ध्वनि देती है
मुझे आँखें
अपने कानों से देखता हूंॅ
मैं तुम्हें
कल्पना आकाश कुसुम होती है
और मैं चाहता हूंॅ सिर्फ / निहारना
हो सके तो
अपनी अँगुलियों से
तुम्हारे बालों को सँवारना
और वह भी / अनवरत
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