मेरे जीवन-पंक में
`सरोज` हो तुम
पास होने पर पास नहीं
दूर होने पर / कभी नहीं दूर
स्मृतियों के आल्बम में
सजे चित्र तुम्हारे
तुमसे ज्यादा / बतियाते हैं मुझसे
नदी सी निरन्तर हो तुम साथ मेरे
आस में इसी जीवन की
अबूझ प्यास हो तुम
रातरानी की गंध सी मादक
हरी-भरी / मनी-प्लांट सी
सजीं नहीं तुम
मेरे जीवन-कक्ष में
महक हो तुम फूलों की
देवों के आगे जलती
धुम्र-दंडिकाओं की
स्थायी सुवास हो तुम
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