याद है
एक बार
शायद था पहली बार
अनेकों बारों में
हाँ, पहली बार ही
आकर पास से पास
जब हम हुये थे दूर-से-दूर
पहली बार
कुछ था कि याद आता है
दिखता है धुँधला सा
पूरा नहीं हुआ था वादा तुम्हारा
उस पहले दिन
एक दो घड़ी / शाम की
कुछ बातें याद करने का वादा
साथ होने का
ध्वनि की तरंगों पर सवार
प्रेेम के गगन में
साथ-साथ तारे गिनने का
योजनों दूर होते हुए भी
एक दूसरे को हल्के से छूने का
कुछ सुनने-सुनाने का पहला वादा
पहले विछोह से जूझने का पहला करारनामा
आज तक याद है
तुम्हारी पहली वादाफ़रामोशी
बहुत थक गई थीं तुम / उस शाम
बताया था फिर कभी
बात-बात में तुमने ही /बिना पूछे
मैंने कहा कुछ नहीं / उस समय
रहा न गया
कुछ ख्याल करो / कहा था मैंने
देर रात में
सपने मत देखा करो / शुभरात्रि!
घंटियों सी हँसी थी तुम
पूछा / भला तुम्हें कैसे मालूम
मुझे आते हैं सपने
मैंने बदली थी करवट और कहा था
मुझे ही तो जाना पड़ता है
सपनों में तुम्हारे
अपने सपनों में तुम्हारा साथ छोड़
ज़िन्दगी में क्या कम भटकाव हैं
जो भटकता फिरूँ सपनों में
मेरे सपनों में / तुम्हारे सपनों में
संसार के साझे सपनों में
वैसे यह महसूसना / दिली सुकून है मेरे लिये
हमारे साथ के पहले कदम से
मेरे जीवन की आखिरी सॉँस तक
कि सो चुकी हो तुम
एक पूरी भरपूर नींद में
न लगे जब तक कुछ ऐसा
कैसे सो पाउँगा मैं
नींद चैन की / कभी भी
इसीलिये कहता हूँ
सपने मत देखा करो
मुझे जाना पड़ता है
सपनों में तुम्हारे
सपने मत देखा करो / शुभरात्रि!
सुन रही हो ना!?
घोसले से बाहर उड़ते पखेरू के लिये
खुला होता है
अनंत, असीम आकाश
हमारी आकाशगंगा को समेटता गवाक्ष
तुम कहाँ विदा दोगी?
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