Monday, February 25, 2008

मेरा रंग 42

रंग उछाले तुमने / नीले-पीले-लाल

रंगों की दुनिया के

खोले सारे दरवाजे

खेले मुझसे लुका-छिपी के खेल

पूछा मुझसे,

इन रंगों में पहचानों मेरा रंग

तुम्हें मानूँगी!



तुम तो दिल में हो मेरे

दिल मेरा काला हो

ऐसा मुझे नहीं लगा, पता

और लाल हो खूब खरा

बची कहाँ साँसों में ऐसी तेजी

खूब सफ़र कर थक गई हैं

सुस्ताने को,

साँसें मेरी तरस गई हैं



सूरज आता-जाता लाल

चला जाता छोड़कर पीछे काला

सारे रंग / इसी यात्रा तक जीते हैं

तपकर लोहा होता लाल

और फिर पीला-काला

लोहे को क्या बसंत

लोहे को क्या रंग-तरंग



पसीने की भट््ठी में / पिघलने वाला

रंगों की दुनिया का

नहीं मैं सैलानी

रंगों की मुझे ज्यादा क्या पहचान

रंगों से मैं तो अनजान



पसीने का नहीं होता रंग

रंग का नहीं होना ही

है मेरा रंग

और अलग क्या

मेरा रंग - तेरा रंग



मेरे रंगहीन रंगों में रंगी है तू

तेरे सतरंगों में और रंगा मैं

कहाँ अलग हैं हम-तुम

जो मैं खोजूँ

तेरा रंग / किसी भी होली में

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