मैं तुम्हारे लिये बनाना चाहता था
एक अच्छा घर
बहुत अच्छा घर
हुईं कई बैठकें
दिल और दिमाग की
कुछ ज़ुनून भी ता़री था
कुछ दुनियावी ज़रूरातों का
तक़ाजा भी था
प्यार मौत की गोद में है
ताजमहल में
वहाँ विछोह की व्यथा है
यहाँ हर्ष है साथ का
चाहा, बिखरी हुई हो ज़िन्दगी
अपने घर में
हो बोनसाई सी ही सरीखी
पर हो पूरी की पूरी क़ायनात
अपने घर में
घोंसलों की बुनावट को रखा ध्यान में
वे घर की परम्परा के
स्तम्भ हैं / प्रकाश के
जरूरतों को सहेजा, रूमान को समेटा
बना पाया एक घर, ईंट-गारे का
भावनाओं से जुड़ा, सपनों से मढ़ा
अब की ज़िन्दगी में
कृृपाँक से ही सही
पास कर देना
ताकि जा सकूँ अगली कक्षा में
बना सकूँ और बेहतर घर
तुम्हारे लिये, अपना घर
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