Monday, February 25, 2008

थकान की व्यस्ततायें 32

कहा तुमने

कितने थके-थके से दिखते हो

देखी हैं आँखें अपनी



थकान का स्थायी पता

मालूम होती हैं



कहा मैंने

भला कौन देख सका है

अपनी आँखें

अपनी आँखें देख सकने वालीं

अंतस् की आँखें

मिलती हैं सदियों में

वो भी एकाध को

मुझे नहीं मिलीं / ऐसी आँखें



तुम झाँक सकती हो

जानता हूँ मैं

जरा झाँकों

सूरज की आँखों में

धरती की आँखों में

वहाँ भी

पसर कर बैठी होगी थकान

वो भी थक कर



न धरती थकती है

और न सूरज ही

मुझे भी कहाँ मोहलत है

थकने की

मुझे भी कहाँ फुरसत है

रुकने की



बंद करो मेरी आँखों में झाँकना

दरअसल थक रहीं हो तुम

मेरा भागना / मेरा दौड़ना

मेरी व्यस्ततायें देखकर

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