तुम्हारी साड़ी की सरसराहट से
लगता है तुम हो मेरे पास ही
यहीं कहीं
बड़ी खुन्नस लगती है
जब पत्ते करने लगते हैं कानाफूसी
और फूलों की होने लगती हैं
फूलों से बातें
इस मौन शोर में गुम जाती है
तुम्हारी साड़ी की सरसराहट
लगता है तुम नहीं हो पास मेरे
और शायद
कहीं नहीं
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