Monday, February 25, 2008

दूर पास का तिलस्म 31

तुम्हारी साड़ी की सरसराहट से

लगता है तुम हो मेरे पास ही

यहीं कहीं



बड़ी खुन्नस लगती है

जब पत्ते करने लगते हैं कानाफूसी

और फूलों की होने लगती हैं

फूलों से बातें



इस मौन शोर में गुम जाती है

तुम्हारी साड़ी की सरसराहट

लगता है तुम नहीं हो पास मेरे

और शायद

कहीं नहीं

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