Monday, February 25, 2008

रंगोली 23

मैंने खींची रेखायें

आड़ी / तिरछी

तुमने / भर कर रंग

बना दी रंगोली



मैंने देखीं दिशायें

इधर-उधर

तुमने / बिखरा कर गंध

सुलझाई अनसुलझी पहेली



मैंने सोचा / सब कुछ

देखा आगे-पीछे

तुमने / बदली सी छा कर

की / प्रकृति नई-नवेली



मैंने दी आवाज

बिखरते / बनते सपनों को

तुमने दिया साथ अपेक्षित

बन कर हमजोली

No comments:

फ्री डाउनलोड