मैंने खींची रेखायें
आड़ी / तिरछी
तुमने / भर कर रंग
बना दी रंगोली
मैंने देखीं दिशायें
इधर-उधर
तुमने / बिखरा कर गंध
सुलझाई अनसुलझी पहेली
मैंने सोचा / सब कुछ
देखा आगे-पीछे
तुमने / बदली सी छा कर
की / प्रकृति नई-नवेली
मैंने दी आवाज
बिखरते / बनते सपनों को
तुमने दिया साथ अपेक्षित
बन कर हमजोली
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