धुँधलका सुबह का / बना सांध्य का झुटपुटा
शीतल समीर भागा / डर से सूरज के
लगे लहराने आँचल श्यामल / मटमैले
घूम-फिर कर / फिर सो गई चिड़िया
वेणियों में महकने लगे
या महकने लगे वेणियों से / गंधराज
कुछ दरक रहा है / सैलाबों से लड़ता है मन
छवि दर्पण पर भारी है
देती होंगी किन्हीं को
यादें जीने का सहारा
मन के हर चैनल पर / चित्र तुम्हारा
सब कुछ धुला-धुला सा
सब कुछ बदला मौसम सा
नहीं बदली इंतजार की सूरत
कौन बताये / कौन पुजारी / कौन मूरत
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