कौन से चुनुं फूल
गूँथने / बालों में तेरे
नहीं बता पाता वातायन को
करनी है निमंत्रित
कौन सी गंध
इन प्रश्नों के झकझोरों से
अकुलाहट में हैं प्राण मेरे
बाहर भी बिजलियाँ
भीतर भी बिजलियाँ
घर ही नहीं
दिल भी बना है घास-फूँस का
करता है / तैरता / दरिया में आग के
रिमझिम का इंतजार
मधुर-मधुर यादें / रहती हैं घेरे
प्रश्न खिलते लगते हैं फूल से
कौन से फूल चुनुं
गूँथने / बालों में तेरे
No comments:
Post a Comment