कहते हैं
स्मृतियों के नहीं होते हैं दुहराव
हमने भी छोड़े हैं
बहुतों की तरह गोकुल
इसीलिये शायद
क्या खो दिये हैं
गाँव
कहते हैं
चलने में नहीं होते हैं ठहराव
हम भी दौड़े हैं
बहुतों की तरह ताउम्र
इसीलिये शायद
क्या खो दिये हैं
पड़ाव
कहते हैं
चोरों के नहीं होते हैं पाँव
हमने भी चुराये हैं
बहुतों के दिल
इसीलिये शायद
क्या खो दिये हैं
पाँव
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