Monday, February 25, 2008

एक उदास चाँद 4

छटते ही नहीं बादल

किरणों को देते नहीं रास्ता

उमड़ घुमड़ कर

गरज बरस कर

सोख लेते ध्वनि सारी



बजती ही नहीं पायल

स्मृति का देती नहीं वास्ता

सिसक झिझक कर

कसक तड़फ कर

रोक लेती चीख सारी



दिल ही नहीं कायल

खुशबू ऐसी फैली वातायन में

निरख परख कर

बहक महक कर

टोक देती रीत सारी



दिखता ही नहीं काजल

चाँदनी ऐसी बिखरी उपवन में

घूम घूम कर

चूम चूम कर

रो लेती नींद सारी



तुम नहीं हो पास


आज चाँद बहुत उदास है

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