तमन्ना की चाहत
होती है बड़ी भारी
फिर चाहे वह
एक फूल की ही तमन्ना क्यों न हो
कभी तो नहीं कहा मैंने
मैं तुमसे प्यार करता हूँ
याद है एक बार तुमने कहा था हौले से
कभी नहीं कहा मैंने लज़ 'प्यार`
और मैंने कहा था
मेरे प्यार को समझा जाये
सुना नहीं
तुमने कहा था फिर
अकलमंद को भी, कम से कम
करना होता है एक तो इशारा
एक फूल वाला गुलदान है
मेरे रसोईघर में
एक फूल लगा देना
मैं सुन और समझ लूँगी
तुम्हें मुझसे प्यार है
मैंने तत्काल भर दी थी हामी
तब पता नहीं था
एक फूल की तमन्ना की चाहत
बदल जायगी एक बगीचे की दरक़ार में
वैसे यह और भी अच्छा लगता है
कभी कभार, सकारण-अकारण
मैं नहीं बदल पाता फूल
उस गुलदान का
तुम नहीं भूलतीं भूले से भी
बदल देना फूल हमारे गुलदान का
सच बताऊँ
जब भी लगाता हूँ एक फूल
उस गुलदान में
वही सुकून मिलता है
मानों गूँथ रहा हूँ
एक फूल
तुम्हारे बालों में
वैसे बालों में तुम्हारे
न कभी फूल लगे
और न कभी मैंने लगाये
अब तो चाँदनी उतरने लगी है
हमारे बालों में
और बगीचे पर भी
अब पंख
सिकोड़ने लगे हैं हम
उड़ने के पहले
सोचने लगे हैं हम
मैं ही अब
बाहर कहाँ निकल पाता हूँ
चाँदनी में धुले बगीचे से
तुम्हारे लिये
एक फूल माँगने
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