Monday, February 25, 2008

गूँगी खबर 20

ऐसा हर बार होता है

बादल बरसते हैं

जान पड़ता है

ढलक रहे हैं तुम्हारे आँसू

और मैं भींग रहा हूँ

अन्तर्मन तक



मन की क्यारी की

धुल जाती हैं फूल-पत्तियाँ

पत्तियों की पतली नोंक से

सरक-सरक कर गिरने वाली बूँदें

दर्द बढ़ा देती हैं मन का

एक तड़फ पैदा होती है मन में

गूँगी तड़फ



तुम्हारे दर्द

सब मैं जानता हूँ

बस जानता भर हूँ

चुभते हैं काँटे

मुझे / तुम्हें / उन सभी को

जो इस राह पर हैं

पर रहो मुस्कुरातीं



पौधों में पहले निकलते हैं काँटे

मजबूत होते हैं पहले काँटे

तब कहीं मुस्कुरा पाती है कली

जिन्दगी के काँटों की चुभन से



मत घबराना

फूल खिलते हैं जरूर

फूलों के खिलने की खबर

आने लगी है सुगंध के सहारे

गूँगी खबर

No comments:

फ्री डाउनलोड