दर्द कंधों का
क्या बतायें
बैसाखियों को सब पता है
अक्सर कह देते हैं लोग
अँधेरे में मत चलो
मैं सुन लेता और लेता मान भी
अँधेरे से प्रकाश की यात्रा में
मैं नहीं शामिल
प्रकाश से प्रकाश की ओर -
चलने की कवायद में हो चुका शामिल
आँखों का आकाश कितना बड़ा है
क्या बतायें
परछाइयों को सब पता है
मैं क्या रुका
लगा जैसे रुक गया हो समय
न हुई अगुवानी चंदा की
न दे सका विदा सूरज को
न सका निहार ताकाझाँकी तारों की
कहाँ तक पहचान है अपनी
क्या बतायें
रुसवाइयों को सब पता है
गर्मियों में भी बाहर बगीचे में
खिले हैं फूल बेहिसाब
इधर आराम से अंदर
बता जाते हैं चाहने वाले
चेहरा तुम्हारा खिला है
पर बिस्तर पर चुभन कितनी
क्या बतायें
तनहाइयों को सब पता है
अनुभूतियों को
शब्द से तस्वीर देता हूँ
कल्पना को
भाव से तक़दीर देता हूँ
आते गये जाते गये
मौसमों का लेखा-जोखा
क्या बतायें
अमराइयों को सब पता है
फर्क कितना होता है कम
जानी और फ़ानी होने में
फर्क कितना होता है कम
साँसों के साथ जीने और मरने में
मैं कितनी दूर बैठा महफ़िलों से
क्या बतायें
शहनाइयों को सब पता है
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