Monday, February 25, 2008

अहसास 74

मेरे पास दिल है

और धड़कन भी


जाने कहाँ तक भारी है

आसमान

जाने कहाँ तक पोली है

जमीन सारी

जाने कहाँ तक जमी है

बर्फ सारी

जाने कहाँ तक छिप गई है

हरियाली


मेरे साथ तुम हो

और पास भी


जाने क्यों छोड़ गया है

चैन मन को

जाने क्यों जोड़ गई है

याद वो

जाने क्यों मोेड़ पर छोड़ गये

मुझ को

जाने क्यों थोड़ी हैं आशा की

साँसें जो


मेरे लिये जीवन स्वागत है

और अलविदा भी

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