हर कण ने / लहर ने हर
हर क्षण ने
छुआ है मुझे
अनुभूतियों का अमीर हूँ मैं
दादी-नानी की कहानियों से जानी
सबसे अधिक
कड़कड़ाती ठंड की रात में
समीप हो / एक गोरसी
उदास झुटपुटे में
धुँधियाते
शोर मचाते वीराने में
अनुगूँजे / एक स्मृति-गीत
जब काटता नहीं
भागता है समय / मन को उड़ाते
थिरकते हों पैर समय के
बमुश्किल / एक मीठी नींद
झरने की स्वर-साधना
नृत्य नदी का
लचकन फूलों की
घुँघरू / घंटियों सी हँसी के
गंध-स्वेद / बहुत सी जानी-अनजानी
स्मृतियों में रची-बसी
जीवन में सजी-धजी
है एक अनुभूति
तुम करीब हो
सारी अनुभूतियों का समुच्चय है
यह एक अनुभूति
No comments:
Post a Comment